Skip to main content

Love, Longing, and the Language of Silence 'Bade Achhe Lagte Hain'

झील के किनारे गूँजती हुई वायलीन की उदास धुन हवा में धीमे-धीमे घुल रही है, परंपरा है कि हवा को अभी जाना होगा लेकिन झील को तो वहीं रहना हैं, ये बिछोह तो उसे सहना ही होगा और ये दर्द जैसे केवल हवा और झील का ही नहीं बल्कि उसके किनारे बैठे जोड़े का भी है। वर और वधू दोनों उसके किनारे बैठे हुए हैं और फिर लड़का बहुत हल्के संगीत के साथ धीमे से अपनी बात कह देता है, 'बड़े अच्छे लगते हैं, ये धरती, ये नदिया, ये रैना.... ' 

लड़की धीमे से पूछती है, 'और ....?' जब वो बोलती है तो पूरा संगीत थम जाता है, उसकी आवाज ही इतनी मधुर है कि उसके सामने संगीत का मौन रह जाना ही ठीक है; स्वर यदि पुरुष के पास हैं उन्हें सँवारने वाला संगीत स्वयं स्त्री है - और अब वही संगीत दूर जा रहा है ....

अभी तक उसने दुनिया को चाहे जिस नाम से जाना था, अब वो उन्हें भुला चुका है; अब उसकी दुनिया का बस एक ही नाम है - 'तुम' ... और उसके 'और?' के जवाब में इसके सिवा क्या कहे, वो यही कहता है ... संगीत फिर बहने लगता है। 

Bade Acche Lagate Hain - Balika Badhu

दूर कहीं से 'ओ माझी रे... जइयो पिया के देश' का एक गहरा स्वर सुनाई दे रहा है लेकिन कोई नजर नहीं आता, ना जाने, दोनों में से ये किसका अन्तर्मन है जो चुपके से गा रहा है? सफ़ेद काँस लहरा रही है, जैसे बता रही हो कि अब बारिश नहीं होगी।

लेकिन लड़के ने अपना मुकदमा अभी छोड़ा नहीं है, वो धीमे से इशारा करता है कि, 'हम तुम कितने पास हैं, कितने दूर हैं चाँद सितारे ....' तो क्या वो ये कह रहा है कि अगले दिन पास होते हुए भी वो दूर चली जाएगी और चाँद-तारे अपने तमाम फ़ासलों के बाद भी उसे नजर आएंगे .... स्त्री चिंतित हो उठती है, 'तो क्या अब ये चमकते चंद-सितारे अब उसे कहीं ज्यादा अपने लगेंगे?'

नही; वो भरोसा दिलाता है कि, 'सच पूछो तो मन को झूठे लगते हैं ये सारे.....'

'मगर सच्चे लगते हैं, ये धरती, ये नदिया, ये रैना....' ,


लेकिन फिर वो बात आ जाती है कि, तुम इन सबको छोड़ के कैसे कल सुबह जाओगी, मेरे साथ इन्हें भी तो तुम याद बहुत आओगी .... और इस 'इन्हें' में वो भी शामिल है जो दूर जा रही है .... क्योंकि दोनों ही जानते हैं कि जाकर वो भी जा नहीं पाएगी और वो खुद को ही बहुत याद आयेगी ...


'... और तुम♫♪'

.

गीत में शब्द कम हैं, संगीत तो उनसे भी कम - लेकिन असर गहरा है; उन ढाई अक्षरों के करीब शायद इतनी ही सादगी के साथ पहुंचा जा सकता है।

- अनिमेष 

Comments

Popular posts from this blog

Pumpkin - The Unlikely Hero of the Kitchen

  भिंडी के पास रूप है, बैंगन के पास रंग और गोभी के पास जटिलता है, लेकिन कद्दू? उसके के पास ऐसा कुछ भी नहीं है जो पहली नज़र के प्यार को मजबूर कर दे - मामूली सा रंग, बेढब सा आकार और उस पर उबाऊपन की हद तक सादगी। खरीदने भी जाओ तो बोदे को थैले में सबसे नीचे रखना पड़ता है कि कहीं मुलायम टमाटर का वक्त से पहले कीमा ना बना दे। फ्रिज में घुसता नहीं है, आसानी से कटता नहीं; चमड़ी कुछ इस कदर मोटी कि कहीं नाजुक कलाइयों में मोच ना आ जाये, सो व्यवस्था देनी पड़ी - इसे महिलाएं नहीं काटेंगी, केवल पुरुष काटेंगे - चौके में रहकर भी जिसके ऐसे बगावती तेवर हो उसे अब क्या ही कहा जाये?

A Love Story Sent to the Stars The Voyager's Journey of Science and Love

 प्यार में गहरी डूब चुकी 27 साल की एक युवती के दिमाग की गहराइयों में क्या चल रहा होगा, ये जानने की उत्सुकता शायद किसी को भी हो सकती है। कार्ल ने बस दो दिन पहले ही एन के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था, दोनों की दोस्ती को कुछ बरस हो चुके थे, फिर एक प्रोजेक्ट पर साथ काम करते करते एक दिन कार्ल ने शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे एन ने दिल की गहराइयों से मान भी लिया। दो दिन बाद प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में एन का EEG लिया गया, रिकॉर्डिंग लगभग एक घंटा चली। उस दौरान चेतन रूप में तो एन प्रकृति, दर्शन, संस्कृति, इतिहास जैसी बातों पर विचार करती रही पर अवचेतन में उसका दिमाग अभी भी उल्लास, उमंग और उत्साह वाली उसी अवस्था में था जो शायद किसी भी इंसान की ज़िंदगी में केवल एक ही बार आती है और ईईजी ने उसे पकड़ने में कोई गलती नहीं की। पूरी रिकॉर्डिंग को एक मिनट में 'कंप्रेस' कर, सोने का परत चढ़ी तांबे की एक डिस्क - गोल्डन रिकॉर्ड, में लिख दिया गया। 

Euphorbia - When Thorns Bloom Into a Crown

अगर कायदा यही है कि काटों भरे रास्ते पर चलकर ही ताजों को पाया जायेगा, तो विजेताओं की उस कतार में भी सबसे पहला नाम यूफोर्बिया का ही आयेगा; कंटीले बख्तरबंद को पहन, चुपचाप अपने संघर्षों से जूझता एक योद्धा, उसने खुद को स्त्रियोचित ख़ुशबुओं से नहीं सजाया, ना ... उस जैसे कठोर योद्धा पर तो उग्रता ही सजती है, प्रचंड उग्रता। उसने कोमल रंगों को अपना संगी नहीं बनाया, ना ... उस जैसा शूर तो बस वीरता के ही एक रंग में सजीला लगता है।