भिंडी के पास रूप है, बैंगन के पास रंग और गोभी के पास जटिलता है, लेकिन कद्दू? उसके के पास ऐसा कुछ भी नहीं है जो पहली नज़र के प्यार को मजबूर कर दे - मामूली सा रंग, बेढब सा आकार और उस पर उबाऊपन की हद तक सादगी। खरीदने भी जाओ तो बोदे को थैले में सबसे नीचे रखना पड़ता है कि कहीं मुलायम टमाटर का वक्त से पहले कीमा ना बना दे। फ्रिज में घुसता नहीं है, आसानी से कटता नहीं; चमड़ी कुछ इस कदर मोटी कि कहीं नाजुक कलाइयों में मोच ना आ जाये, सो व्यवस्था देनी पड़ी - इसे महिलाएं नहीं काटेंगी, केवल पुरुष काटेंगे - चौके में रहकर भी जिसके ऐसे बगावती तेवर हो उसे अब क्या ही कहा जाये?




Comments
Post a Comment