कुछ दशक पहले दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क को, हाथियों की तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या का सामना करना पड़ा। जब समस्याएँ ज्यादा गहराई तो वहाँ अधिकारियों ने हाथियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए एक योजना बनाई - भोजन पानी की सीमितता को देखते हुए विचार हुआ कि वृद्ध हाथियों को हटाकर युवा हाथियों के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं; सो कुछ बुजुर्ग हाथी मार दिये गए।
लेकिन इसके साथ ही एक चिंताजनक समस्या खड़ी हो गई, बचे हुए युवा हाथियों ने असामान्य और आक्रामक व्यवहार दिखाना शुरू कर दिया - वे अधिक हिंसक हो गए, और नेशनल पार्क में रहने वाले गैंडों और अन्य जानवरों पर हमला करने लगे - उनका ऐसा बर्ताव पहले कभी नहीं देखा गया था।और फिर उनके इस बर्ताव के पीछे का कारण समझ में आना शुरू हुआ - हाथियों का सामाजिक ढांचा बहुत ही व्यवस्थित और मादा-प्रधान होता है; वहाँ झुंड को मुख्य रूप से सभी कुछ अनुभवी और वृद्ध हथनियों द्वारा ही सिखाया जाता है लेकिन जब उन्हें ही मार दिया गया, तो बहुत से युवा हाथी बिना मार्गदर्शन और नेतृत्व के रह गए। बिना वृद्ध हाथियों के मार्गदर्शन के, इन युवा हाथियों में सामान्य सामाजिक शिक्षा और अनुशासन की कमी हो गई। इसके चलते सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन हुआ, फलस्वरूप आक्रामक और विनाशकारी व्यवहार में वृद्धि हुई। हाथी प्रवास मार्ग, सूखे मौसम के दौरान पानी कैसे खोजना है, और अन्य जानवरों के साथ कैसे बर्ताव करना है, जैसे महत्वपूर्ण सबक सीखने
से चूक गए।
किसी भी परिवार या व्यवस्था में वृद्ध और अनुभवी जनों का बहुत ज्यादा महत्व होता है, आज यदि एक समाज और व्यक्ति के रूप में हम अपना ऐसा स्वभाव विकसित कर रहें हैं जहां बुजुर्ग आवाजों को अनसुना किया जा रहा है तो उसके भयावह नतीजों को हमें ही भुगतना पड़ेगा। नौकरी और कामकाज के दबाव के चलते घर से दूर जाना मजबूरी हो सकती है, लेकिन इसका मतलब परिवार से दूर होना कतई नहीं होता - जैसा भी हो सके और जितना भी हो सके अपने परिवार और बुजुर्गों के संपर्क में रहने का प्रयास करना चाहिए; अपने धर्म और संस्कृति से संबन्धित पुस्तकों को पढ़ने का स्वभाव बनाना चाहिए - ये पुस्तकें अपने समाज की वे बुजुर्ग हैं जिनमें पीढ़ियों का ज्ञान और अनुभव भरा हुआ है।
आज समाज के कुछ हिस्से ऐसे भी हो सकते हैं जहां वृद्ध - दैहिक, वैचारिक या अन्य किसी भी रूप में उपस्थित नहीं है, और ऐसे हिस्सों की पहचान करना मुश्किल नहीं है - अनुशासनहीन, उत्श्रंखल और नासमझ पशुओं सा आचरण अक्सर वहाँ का कायदा होता है।
हाथी एक बुद्धिमान प्राणी है, लेकिन अपनी प्रजाति के ज्ञान, अनुभव, संस्कार और संग के बिना वो अपनी ये पहचान खो देता है।
मनुष्यों के साथ भी ऐसा ही होता है।
- अनिमेष

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