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Life of a Busy Stock Market Trader - Humour in Tragedy

ओ हेनरी की एक कहानी है - "The Romance of a Busy Broker" ।  कहानी में बॉस जो कि एक ब्रोकर है सुबह ऑफिस पहुंचता है। साथ ही साथ स्टेग्नोग्राफर मिस लेज़्ली भी दाखिल होती है। कहानी कुछ मोड़ों से होते हुये "ओ हेनरीनुमा" अंत की ओर बढ़ चलती है। ब्रोकर को लगता है कि उसे मिस लेज़्ली के प्रति अपने प्यार को जाहिर कर देना चाहिए। उसका दिमाग तो शेयरों में उलझा हुआ है पर दिल की बात सुनकर वह चलते शेयर मार्केट के दौरान ही इस खतरे को उठाने पहुँच जाता है।
जैसे ही वो मिस लेज़्ली को "क्या तुम मुझसे शादी करोगी?" कहता है, मिस लेज़्ली चोंक कर कहती है "आखिर तुम ये क्या कह रहे हो? क्या तुम्हें याद नहीं? कल शाम को ही तो हमारी शादी हुई है।"
तो ये है सच्चाई शेयर मार्केट में काम करने वाले लोगों की - कल शाम शादी हुई और आज सुबह सब कुछ भूल काम पर डटें हैं। उनकी ज़िंदगी में ना तो 'हनी' की मिठास है ना 'मून' की चाँदनी. अगर कुछ है तो बस अमावस की रातें और मधुमक्खी के चुभते डंक।
सो कभी किसी ट्रेडर से मिलो तो ये मत पूछना कि "पहचाना?" उसे कल की शादी याद नहीं रहती और तुम्हें अपनी पड़ी है। एक सच्चे ट्रेडर को नाम नहीं नंबर याद रहते है, उसे चेहरे नहीं पैटर्न ध्यान में रहते हैं।
शेयर ट्रेडर (hereinafter ट्रेडर) इस दुनिया की वो दुर्लभ प्रजाति है जो खुद को भुलाकर, विश्व कल्याण की उदात्त भावना से प्रेरित हो दिन रात काम में लगी रहती है और उफ तक नहीं करती। एक ट्रेडर सबके दुःख में शरीक है - मॉनसून ठीक नहीं आ रहा तो किसान के पहले उसके माथे पर चिंता की लकीरें उभरती है, बाढ़ आ गयी तो वो साथ में डूबता है, अमेरिका में भी यदि चक्रवात आ जाये तो ट्रेडर अपनी दुआओं मे कमी नहीं रखता। वो सबके भले के लिए प्रार्थना करता है, प्राणियों मे सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो यही उसका मूल मंत्र है। सातवाँ वेतन आयोग कर्मचारियों को मिलता है- खुश ये होता है। बारिश अच्छी हो जाये तो किसानो से पहले इसकी मिठाई बंटती है। हर बजट में लात खाता है पर मजाल है जो मुंह से एक आह तक निकल जाये। 
उसका ध्येय वाक्य ही है - "निर्णय चाहे जैसा भी हो, उंगली हमारी नहीं उठेगी।"
 
कभी आपने उसकी ज़िंदगी पर गौर किया? वो शेयर मार्केट में किसी दबाव से नहीं बल्कि खुद के चुनाव से है। ये उसका अपना फैसला है। उसने संघर्ष को चुना। हर सुबह सवा नौ बजे वो 'दीवार' के अमिताभ सा गोदाम में घुसता है जहां दुश्मन ताक में हैं।  वो जानता है उसे तलाशा जा रहा है।
 वो किसी न किसी कंपनी के शेयर खरीदता है मानो ताला लगाकर चाबी "पीटर" की जेब में रखता है कि अब तो वो चाबी उसकी जेब से निकालकर ही साड़े तीन बजे खुद ताला खोलेगा। उसका हर दिन एक युद्ध है जहां हार जीत नहीं, संघर्ष मायने रखता है। उसे सुबह कोई अपनी ज़ुल्फों से पानी छिटककर नहीं उठाता। ना।  पूरे तीन सौ पिचहत्तर मिनट की मार कुटाई के बाद जब साड़े तीन बजे वो लड़खड़ाता हुआ बाहर आकर किसी तो भी नल पर मुंह धोता है, उसकी सुबह तब होती है।

कहाँ तो लोग दाल के भाव से आगे नहीं जा पाते और यहाँ अपना ट्रेडर है जो कच्चे तेल, डॉलर, मेटल, आपदाएँ, दुनिया भर के मार्केट, राजनीति, अर्थव्यवस्था, एलियन और भी ना जाने कौन कौन सी डोरों से बंधा बैठा है। "और जहाँपनाह उसकी ये सारी डोरे किसी ओर के हाथों में है। इस रंगमंच पर कौन ट्रेडर, कब, कैसे लुटेगा कोई नहीं बता सकता। इसे ना तो वो बदल सकता है ना कोई और।"
 
..... तो ये है एक ट्रेडर की ज़िंदगी। अब आखिर इस आपा धापी में वो शादी जैसी बात याद रख भी कैसे सकता है।

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