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Raag Bhopali

राग भोपाली रात्री के प्रथम प्रहर का राग है। प्रथम प्रहर सूर्यास्त के बाद से शुरू होता है, तो आज के हिसाब से देंखे तो यह लगभग शाम के 6 से 9 का समय पड़ेगा। ये वही समय होता है जब केवल इंसान ही नहीं पशु, पक्षी भी अपने प्रियजनों के पास अपने घर लौटते हैं। दिन भर के संघर्ष, भाग-दौड़, जीत-हार के बाद  का यह समय आराम का, आनंद का, दर्द को सहलाने का, मन को बहलाने का होता है।
पूरा दिन ज़िंदगी के साथ भागने में, उसको समझने मे, उलझे सिरों की तलाश में निकल जाता है। रात्रि मे पूरी प्रकृति ठिठक कर, कुछ ठहर कर निद्रामग्न हो जाती है।
बस केवल साँझ ही वो वक़्त होता है जब इंसान अपनी ज़िंदगी जीता है, उसको मायने देता है, उसमें रंग भरता है, उसको सुरों से सजाता है ।
राग भोपाली ज़िंदगी का राग है। 

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